Kavita Jha

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वसुधा की पुकार ... मेरे देश की मिट्टी

विगत पांच वर्षों से इंग्लैंड में अपने परिवार संग रह रहे आनंद मिश्रा एक बैचैनी सा महसूस करते सब कुछ तो था उनके पास। मेडिकल की उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए अपना देश छोड़कर पराए देश में आ बसे। फिर वही कॉलेज की एक सुंदरी जैनिफ़र डिसूज़ा से प्यार हो गया और वहीं चर्च में शादी कर ली। ब्रह्मण परिवार में जन्मे आनंद एक क्रिस्चन लड़की के प्यार में अपना धर्म भूले तो नहीं थे । इंग्लैंड की धरती पर रहते हुए भी नियमित पूजा पाठ करते, पर मन की व्याकुलता शांत होने का नाम ही ना ले रही थी।

पढ़ाई खत्म होने के बाद वही के एक बड़े नामी हॉस्पिटल में प्रैक्टिस शुरू कर दी थी पर मन अपने गांव वालों पर ही लगा हुआ था।मेरी जरूरत इस देश से अधिक मेरे देश को हैं। उन्हें बार बार अपनी मां के आंचल के साथ अपने गांव की मिट्टी की खुशबू याद आती।
एक दिन जब सुबह आनंद सोकर उठे उन्हें लगा मां रो रही है उन्हें पुकार रही है तभी न्युज में खबर सुनी अपने देश की अपने बिहार की,अपने गांव की, जहां बाढ़ के बाद कई तरह की बिमारी से गांव वाले ग्रसित हो रहे हैं और कई लोग मौत के घाट पहुंच गए।
अब वो जल्द से जल्द अपने देश पहुंचना चाहते थे,मां मेरे देश की मिट्टी मेरी वसुधा पुकार रही है।
कुछ ही दिनों में वो अपनी पत्नी के साथ अपने गांव के लोगों का इलाज कर रहे थे।
***
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी प्रतियोगिता 

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4 Comments

Fiza Tanvi

04-Oct-2021 03:31 PM

Good

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Swati chourasia

01-Oct-2021 05:10 PM

Very nice

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Shalini Sharma

01-Oct-2021 01:46 PM

Beautiful

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